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नित्य संदेश

विशेष – श्रीगुरूचरणों में वंदन

विशेष – श्रीगुरूचरणों में वंदन🙏🙏🙏🌹🌹🌹
श्रीगुरुदेवजी की अनेक तपोस्थलियों में से एक सहयाद्रि की पर्वतश्रेणियों में आने वाले उनपदेव के पहाड़ियों में श्रीगुरुदेवजीने बोहोत सा समय केवल तपस्या में ही लगा दिया। इस जंगल में आज भी जंगली जीव विचरण करते हैं। आज से करीब 18 वर्ष पहले से श्रीगुरुदेवजी ऐसी पहाड़ियों में तपस्या करने के लिए जाते हैं। जहा कोई मनुष्य एक रात्रि भी नही रुक सकता। श्रीगुरुदेवजी की तपस्या के फलस्वरूप आज शहादा धाम में भगवान श्रीशेषशायी नारायण का दिव्य तीर्थ निर्माण होने जा रहा हैं। भगवान को भी यह स्थान अत्यंत प्रिय लगा क्योंकि उनके सच्चे निष्ठावान भक्त ने यहां पर अपने जीवन का बहुत सा समय तपस्या में ही व्यथित किया। श्रीगुरुदेवजी का कहना यही है की ‘प्रेम करने योग्य तो केवल श्रीनारायण ही हैं।’ आज के समय में भी श्रीगुरुदेवजी के व्यस्त दिनचर्या में से समय निकाल कर समय समय पर तपस्या करने के लिए जंगल में, पहाड़ियों में जाते हैं।
ऐसे श्रेष्ठ संत ही समाज को योग्य मार्गदर्शन कर सकते हैं। जिन्होंने सत्य में ईश्वर प्राप्ति की हों। आज के युग में ऐसे संत बोहोत विरले ही हैं या फिर ऐसा कहें की कोई कोई ही हैं जो सभी को सत्य ईश्वर की भक्ति का मार्ग बता रहे हैं। बाकी तो सब आडंबर ही हो रहा हैं।
श्रीगुरुदेवजी भी ऐसे ही विरले संत हैं जिन्होंने श्रीनारायण भक्ति पंथ के माध्यम से सभी मनुष्यों को शुद्ध विष्णुभक्ती की और मोड़ा हैं। श्रीराम और श्रीकृष्ण जिन भगवान श्रीनारायण की पूजा उपासना करते थे उन भगवान के मूल स्वरूप से सभी को अवगत करवाया हैं।

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