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गुरुपूर्णिमा – ब्रम्हस्वरूप संतश्री लोकेशानंदजी महाराज जी ने सबको शुभाशीष प्रदान किए।

श्रीनारायण💐🪷🌹
गुरुपूर्णिमा का दिव्य संदेश…
ग्राम सिंदौड़ा स्थित आश्रम पर ब्रम्हस्वरूप संतश्री लोकेशानंदजी महाराज जी ने सबको शुभाशीष प्रदान किए।
संतश्री ने सत्संग में उपदेश दिया की हरी और गुरु में भेद नहीं मानना चाहिए। आचार्य सदगुरु को भगवान का ही रूप मानना चाहिए। शास्त्रों का भी यही मत हैं। सदगुरु ही सत्य की पहचान करवा कर सत्य भक्ति का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं।
आज के सत्संग में श्रीगुरुदेवजी ने समर्थ रामदास और छत्रपति शिवाजी महाराज का प्रसंग सुनाया। शिवाजी महाराज बहुत बड़े गुरुभक्त थे समर्थ रामदास की आज्ञा का वे सदैव पालन करते थे। इसीलिए वो छत्रपति कहलाए…
गुरुदेव भगवान की भक्ति का मार्ग बताते हैं उसके अनुसार शिष्य चलें तो अवश्य ही भगवद कृपा प्राप्त होती हैं।
श्रीगुरुदेवजी ने सत्संग यह भी बताया कि गुरुमंत्र का क्या प्रभाव होता हैं। किसी श्रेष्ठ संत सद्गुरु से जब मंत्र प्राप्त होता हैं तब वह उसके आत्मा पर अंकित हो जाता हैं।
साथ ही जो देवताओं के भी ईश्वर हैं उन भगवान नारायण के भक्ति पूजा का संदेश श्रीगुरुदेवजी ने सब शिष्यों को दिया।
श्रीगुरुदेव लोकेशानंदजी स्वामीजी इन्होंने बताया कि भगवान का मंदिर बनाने की प्रेरणा उन्हें अपने सदगुरु ब्रम्हलीन स्वामी अच्युतानंदजी महाराज से मिली।
शहादा महाराष्ट्र में शेषशायी नारायण भगवान के दिव्य तीर्थ का निर्माण स्वामीजी के प्रेरणा से किया जा रहा हैं। शुद्ध सनातन विष्णुभक्ति घर घर पहुंचे सभी मनुष्य अपने मूल ईश्वर भगवान नारायण के कृपापात्र हों, स्वामीजी का सदैव यही प्रयास बना रहता हैं।
महाराजश्री ने श्रीनारायण भक्ति पंथ के माध्यम से कई घरों में श्रीनारायण भगवान के मूल रूप की सेवापूजा पहुचाई है और अभी भी यह सेवाकार्य चल रहा हैं…

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